Monday, 3 October 2016

परिभाषा-ए-मोहब्बत….



ये प्रेम एक ऐसा बंधन है, जिसमे बंधन है एक नहीं,
रिश्ते हैं लाखों दुनिया में पर, इससे बढ़कर है एक नहीं,
ये प्रेम असल में जीवन है, ये प्रेम बरसता सावन है,
धड़के दो अलग-अलग दिल में, ये प्यार अनोखी धड़कन है,
हर पायल की झंकार है ये, माँ वीणा का सितार है ये,
संसार से है ये प्यार नहीं, ये प्यार है तब संसार है ये,
खुद भगवान् की पूजा है, नमाज़ और अरदास है ये,
खुद धर्म नहीं इसका लेकिन, सारे धर्मो से खास है ये,
तो दिल खोल इसे सुनना वो सब, जिनकी बाकि फरियादे हों,
जिनकी दो आँखें अपनी हों, या जिनकी बीती यादें हों,
ये प्रेम रहे जिनके संग वो, हमसफ़र यहाँ हो जाते हैं,
और जो रहते हैं इसके संग, वो अमर यहाँ हो जातें हैं…

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