Sunday, 25 September 2016

नन्हें कागज़….


दुःख है मुझे की हम, बचा ना पाए बेटी को,

लूट कर ले गए थे कुछ, अँधेरे साए बेटी को,

मगर अब आ गया वो दिन, मना लो आज सब खुशियाँ,

दरिंदो को हुई फ़ासी, मिला है न्याय बेटी को….




तुम्हारी बेवफाई को किसी से ना कहूँगा मैं,

तुम्हारे याद के ज़ुल्मो को बिलकुल ना सहूंगा मैं,

तुम्हे विश्वास था की टूट जाऊंगा तुम्हारे बिन,

पर, सिकंदर था, सिकंदर हूँ, सिकंदर ही रहूँगा मैं….




जहाँ सम्मान मेरा है, जहाँ सम्मान तेरा है,

जहाँ पल में अँधेरा है, जहाँ पल में सवेरा है,

जहाँ पर सोचती है दुनिया,अपना घर बसाने को, 

वही मेरा बसेरा है, वही तेरा बसेरा है….




मेरे मंदिर की सारी ही सदाएं साथ हैं तेरे,

अभी लहरों से क्या डरना, हवाएं साथ हैं तेरे,

जल्द ही ठीक होगी तुम, मुझे पूरा भरोसा है,

जद है क्या दवाओं की, दुआएं साथ हैं तेरे…..




इस दौर में अपनी हस्ती बनाए रखना,

गम कैसा भी हो मस्ती बनाए रखना,

मत करना ऐसी दुआ की मेरी सांस ना टूटे,

वो नहीं टूटेगी बस दोस्ती बनाए रखना….






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