Sunday, 25 September 2016
Saturday, 24 September 2016
देश- एक उपवन…
ये सरकार निकम्मी है तो, हमें सवाली बनना होगा,
बागीचे सा देश है अपना, इसका माली बनना होगा,
कर्तव्यों से सीचेंगे जब, तब जाके अधिकार मिलेगा,
जैसे उपवन में फूल है खिलाता, वैसे अपना देश खिलेगा,
जैसे फूल महकता वैसे, देश का हर ज़र्रा महकेगा,
चहके जैसे पंछी वन में, देश में हर बच्चा चहकेगा,
फिर सब कुछ होगा नया-नया, तब इतना अंतर आएगा,
फूल भले फिर मुरझाए, ये देश नहीं मुरझाएगा,
देश है ये सोने की चिड़िया, सबको फिर विश्वास छुएगा,
रंग फूल के छूटे दिल को, तिरंगा आकाश छुएगा……
बागीचे सा देश है अपना, इसका माली बनना होगा,
कर्तव्यों से सीचेंगे जब, तब जाके अधिकार मिलेगा,
जैसे उपवन में फूल है खिलाता, वैसे अपना देश खिलेगा,
जैसे फूल महकता वैसे, देश का हर ज़र्रा महकेगा,
चहके जैसे पंछी वन में, देश में हर बच्चा चहकेगा,
फिर सब कुछ होगा नया-नया, तब इतना अंतर आएगा,
फूल भले फिर मुरझाए, ये देश नहीं मुरझाएगा,
देश है ये सोने की चिड़िया, सबको फिर विश्वास छुएगा,
रंग फूल के छूटे दिल को, तिरंगा आकाश छुएगा……
Tuesday, 20 September 2016
अस्तित्व मांगता है देश….
अस्तित्व मांगता है शान्ति की सीख, अब नहीं,
अस्तित्व मांगता है यूँ दया की भीख, अब नहीं,
अस्तित्व लेगा हिसाब अब बेटियों के दर्द का,
अस्तित्व सहेगा, निर्भया की चीख अब नहीं,
अस्तित्व जानता है देश एक साथ आ रहा,
आपको है अब सत्ता का डर सता रहा,
अब भी बचा है वक़्त जनता के साथ आइये,
गैरत बची हो गर, तो इतना तो कर दिखाइए,
कोई सरकार कोई कानून कोई लाइए,
अस्तित्व मांगता है देश, देश को बचाइए…
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