Sunday, 25 September 2016

नन्हें कागज़….


दुःख है मुझे की हम, बचा ना पाए बेटी को,

लूट कर ले गए थे कुछ, अँधेरे साए बेटी को,

मगर अब आ गया वो दिन, मना लो आज सब खुशियाँ,

दरिंदो को हुई फ़ासी, मिला है न्याय बेटी को….




तुम्हारी बेवफाई को किसी से ना कहूँगा मैं,

तुम्हारे याद के ज़ुल्मो को बिलकुल ना सहूंगा मैं,

तुम्हे विश्वास था की टूट जाऊंगा तुम्हारे बिन,

पर, सिकंदर था, सिकंदर हूँ, सिकंदर ही रहूँगा मैं….




जहाँ सम्मान मेरा है, जहाँ सम्मान तेरा है,

जहाँ पल में अँधेरा है, जहाँ पल में सवेरा है,

जहाँ पर सोचती है दुनिया,अपना घर बसाने को, 

वही मेरा बसेरा है, वही तेरा बसेरा है….




मेरे मंदिर की सारी ही सदाएं साथ हैं तेरे,

अभी लहरों से क्या डरना, हवाएं साथ हैं तेरे,

जल्द ही ठीक होगी तुम, मुझे पूरा भरोसा है,

जद है क्या दवाओं की, दुआएं साथ हैं तेरे…..




इस दौर में अपनी हस्ती बनाए रखना,

गम कैसा भी हो मस्ती बनाए रखना,

मत करना ऐसी दुआ की मेरी सांस ना टूटे,

वो नहीं टूटेगी बस दोस्ती बनाए रखना….






Saturday, 24 September 2016

देश- एक उपवन…


ये सरकार निकम्मी है तो, हमें सवाली बनना होगा,
बागीचे सा देश है अपना, इसका माली बनना होगा,
कर्तव्यों से सीचेंगे जब, तब जाके अधिकार मिलेगा,
जैसे उपवन में फूल है खिलाता, वैसे अपना देश खिलेगा,
जैसे फूल महकता वैसे, देश का हर ज़र्रा महकेगा,
चहके जैसे पंछी वन में, देश में हर बच्चा चहकेगा,
फिर सब कुछ होगा नया-नया, तब इतना अंतर आएगा,
फूल भले फिर मुरझाए, ये देश नहीं मुरझाएगा,
देश है ये सोने की चिड़िया, सबको फिर विश्वास छुएगा,
रंग फूल के छूटे दिल को, तिरंगा आकाश छुएगा……

Tuesday, 20 September 2016

अस्तित्व मांगता है देश….

अस्तित्व मांगता है शान्ति की सीख, अब नहीं,
अस्तित्व मांगता है यूँ दया की भीख, अब नहीं,
अस्तित्व लेगा हिसाब अब बेटियों के दर्द का,
अस्तित्व सहेगा, निर्भया की चीख 
अब नहीं,


अस्तित्व जानता है देश एक साथ आ रहा,
आपको है अब सत्ता का डर सता रहा,


अब भी बचा है वक़्त जनता के साथ आइये,
गैरत बची हो गर, तो इतना तो कर दिखाइए,
कोई सरकार कोई कानून कोई लाइए,
अस्तित्व मांगता है देश, देश को बचाइए…